रविवार, 22 अप्रैल 2012


मौसम की अनियमितता


समस्त मानव जाति धरती पर हो रहे जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार है। सामाजिक सरोकारों को सुविधाभोगी जीवन शैली में पीछे छोड़ दिया है। हम विकास के सोपान जैसे-जैसे चढ़ रहे हैं, पृथ्वी पर नए-नए खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। प्रतिदिन घटती हरियाली व बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण नई समस्याओं को जन्म दे रहा है। इस कारण प्रकृति का मौसम चक्र भी अनियमित हो गया है। किसी भी ऋतु का कोई निश्चित समय नहीं रह गया है। हर वर्ष तापमान में हो रही वृद्धि से बारिश की मात्रा कम हो रही है। इस कारण भू-जलस्तर में भारी कमी आई है। प्रत्येक मनुष्य को एकजुट होकर पृथ्वी को बचाने के उपाय करने होंगे। इसमें प्रशासन, सामाजिक संगठन, स्कूल, कॉलेज सहित सभी को भागीदारी निभानी होगी।
बचाने के उपाय
  • बाज़ार जाते समय साथ में कपड़े का थैला, जूट का थैला या बास्केट ले जानी चाहिए।
  • हम प्रत्येक सप्ताह कितने पॉलीथिन थैलों का इस्तेमाल करते हैं, इसका हिसाब रखें और इस संख्या को कम से कम आधा करने का लक्ष्य बनाएं।
  • यदि पॉलीथिन थैले के इस्तेमाल के अलावा कोई और विकल्प न बचे तो एक सामान को एक पॉलीथिन थैले में रखने के स्थान पर कई सामान एक ही थैले में रखने की कोशिश करें।
  • घर पर पॉलीथिन थैलों का काफ़ी उपयोग किया जाता है। जैसे लंच पैक करना, कपड़े रखना या कोई अन्य घरेलू सामान रखना, इनमें से कुछ को कम करने का प्रयास करे।
  • पॉलीथिन के थैलों से जितना बच सकते हैं बचें। पॉलीथिन के थैलों को एक बार इस्तेमाल कर फेंकने के स्थान पर उनका पुन: प्रयोग करने का प्रयास करे।
  • स्थानीय अखबारों में चिट्ठिया लिखकर, स्कूल में पोस्टर के द्वारा या प्रजेंटेशन से इस मसले पर जागरुकता फैलाने का काम करें।
  • बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वे अपने पुराने खिलौने तथा गेम्स ऐसे छोटे बच्चों को दे दें जो कि इसका उपयोग कर सकते हैं। एक तरह से यह रिसाइक्लिंग प्रक्रिया ही होगी क्योंकि एक तो आपके घर की सामग्री नष्ट होने से बच जाएगी, दूसरे जिसे वह मिलेगी उसे बाहर से पर्यावरण के लिए नुकसानदायक सामग्री ख़रीदनी नहीं पड़ेगी। इससे बच्चों में त्याग की भावना भी बलवती होगी। केवल बच्चों ही नहीं बड़े लोग भी अपने कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक सामान तथा पुस्तकें भेंट कर सकते हैं।

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