उत्तर प्रदेश सरकार ने गंगा की सहायक गोमती नदी में प्रदूषण फैलाने वाली 27 इकाइयों को चिह्नित किया है। प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों में से 7 चीनी मिलें हैं, जबकि 5 यीस्ट इकाइयां हैं। शेष छोटी औद्योगिक इकाइयां हैं, जिसमें कृषि आधारित कागज कंपनी शामिल है।
बहरहाल, राज्य सरकार ने दावा किया है कि यह सभी प्रदूषणकारी इकाइयों ने कहा है कि वे प्रदूषण नियंत्रण मानकों को पूरा करने के लिए शोधन संयंत्र लगाएंगी।
गोमती नदी पीलीभीत के टिहरी इलाके से निकलती है, जो उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदी है। यह लखनऊ, लखीमपुर खीरी और जौनपुर सहित 15 शहरों से होकर गुजरती है या इसके क्षेत्र में आते हैं। राज्य में इसकी कुल लंबाई 900 किलोमीटर है और बिहार की सीमा पर गाजीपुर जिले में यह गंगा से मिल जाती है।
मायावती सरकार ने हाल ही में राज्य विधानसभा में कहा था कि प्रदूषण करने वाली सभी चीनी मिलें शोधन संयंत्र स्थापित करेंगी और पेराई सत्र में अपने कचरे का निस्तारण उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) से संपर्क के बाद ही करेंगी। उत्तर प्रदेश जल निगम (यूपीजेएन) ने लखनऊ में 2 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए हैं, जिनकी क्षमता 56 एमएलडी और 345 एमएलडी है, जिसके जरिये घरेलू जलापूर्ति होती है। सुल्तानपुर जिले मेंं 5 एमएलडी का ऑक्सिडेशन पौंड है और 9 एमएलडी एसटीपी भी प्रस्तावित है।
यीस्ट इकाइयां औद्योगिक कचरे से बायोगैस और बायोकंपोस्ट का निर्माण करती है, जो अपना प्रदूषण स्तर शून्य कर रही हैं। छोटी इकाइयां भी शोधन संयंत्र लगा रही हैं।
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